________________ ( 73 ) कितने एक यात्री सिद्धवड से घेटीपाम चढ़ कर विमल वसहि के दर्शन करके जयतलेटी आते हैं। तृतीय प्रदक्षिणा बारह कोश की है, जो पालीताणा से आरंभ होती है / शहर पालीताणा से दक्षिणपूर्व-कोण में 7 माईल दूर शत्रुजीनदी के दहिने तट पर भंडारिया गाँव आता है, जिसमें श्रीमालजैनों के 20 घर और एक गृहमन्दिर है / मन्दिर में श्रीआदिनाथादि तीन प्रतिमा विराजमान हैं। भंडारिया से दो माईल आगे जाने पर 'बोदानोनेस' गाँव आता है, जिसका प्राचीन नाम कदंबपुर है / यह गाँव कामलिया (अहीरजाति के) लोगों का है, और वही इसके गिरासदार हैं / गाँव में एक आणंदजी कल्याणजी की धर्मशाला बनी हुई है, जिसमें दो हजार यात्री ठहर सकते हैं। इसके पास ही कदम्बगिरि नाम की पहाडी है, जो गिरिराज का ही एक शिखर माना जाता है। जैनेतर लोग इसको 'कमलानो डूंगर' कहते हैं / इसका चढाव अन्दाजन ढाई मीलका है, और इसके ऊपर गत चोवीशी के निर्वाणी तीर्थङ्कर के 'कदम्ब' नामक गणधर एक क्रोड मुनि के परिवार से मोक्ष गये हैं, इसीसे यह स्थान तीर्थ-स्वरूप माना गया है। कहा जाता है, कि दीवाली के दिन शुभवार, उत्तरायण-संक्रान्ति में यहाँ मंडल (ध्यान) करने से देव प्रत्यक्ष होकर इच्छित वर.