________________ ( 71 ) एक छोटे गामडे के रूप में दिखाई देता है। आदपुर से पचास कदम ऊंचे चढने पर घेटीपाग आती है। यहाँ एक सुन्दर नकशीदार छत्री में आदिनाथ के चरणयुग स्थापित हैं। यहाँ से लगभग अर्धभाग ऊंचे चढने पर एक देहरी में चोवीश जिनेश्वरों के चरणयुगल आते हैं। बाद एक माइल ऊंचे जाने पर किले की बारी आती है। जो यात्री जयतलेटी के रास्ते से ऊंचे चढ कर तीर्थनायक को भेट कर घेटीपाग की यात्रा करके, वापिस तीर्थनायक के दर्शन कर जयतलेटी आते हैं, उनके गिरिराज की दो यात्रा हुई मानी जाती हैं। गिरिराज की तीन प्रदक्षिणा हैं-प्रथम डेढ़ कोश की, जो नव टोंकों के किले बाहर रामपोल से दहिने तरफ से फिर कर हनुमानद्वार होकर रामपोल आने पर पूर्ण होती है और यात्री इसको 'दोढ गाउनी प्रदक्षिणा' कहते हैं। द्वितीय छ कोश की प्रदक्षिणा जो रामपोल के दहिने तरफ के रास्ते से शुरू होती है / मोखरका टेकरी के पासवाले मार्ग से आधा कोश जाने पर 'उलकाजल' नामक स्थान आता है / यहाँ एक छोटी देहरी में आदिनाथ के चरणयुगल हैं, उनके दर्शन करके पौन कोश आगे जाने पर चिल्लणतलावडी' आती है। यहाँ दो छोटी देवकुलिकाओं में अजितनाथ