________________ (57 ) लायब्रेरी 6, और खरतरगच्छीय-यतिज्ञानभंडार 7 ये सात पुस्तकालय (ज्ञानभंडार ) हैं, जिनमें हस्तलिखित संस्कृत, प्राकृत जैनागमों और मुद्रित ग्रंथों का अच्छा संग्रह है, जो उनके अभ्यासी विद्वानों और साधु-साध्विओं को सीखने, वांचने के लिये दिये जाते हैं / इसके अलावा लायबेरियों में जैन जैनेतर साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्र भी आते हैं, जो वांचने के लिये विना छूट से मिल सकते हैं। शहर में हेमचन्द्राचार्य-जैनपाठशाळा 1, बुद्धिसिंह पाठशाला, 2 धनपतसिंह-पाठशाला 3, बालाश्रमबोर्डिंग 4, श्रीयशोविजयजैनगुरुकुल 5, जिनदत्तमूरि-ब्रह्मचर्याश्रम 6, वीरबाई-पाठशाला 7, और सिद्धक्षेत्र-श्राविकाश्रम 8 ये आठ संस्थाएँ ज्ञानाभ्यास के लिये प्रचलित हैं / इनमें धार्मिक और व्यावहारिक शिक्षण जैनबालक बालिकाओं को दिया जाता है / कतिपय पाठशालाओं में तो साधु, साध्वी और श्राविकाओं को विना फीस लिये व्याकरण, काव्य और आगम ग्रन्थों का अभ्यास कराया जाता है। ये सभी पाठशालाएँ स्थायीफंड और जैनयात्रियों के आधार पर ही जीवित हैं। अंध, अपंग, अशक्त और निराधार महाजनों के लिये यहाँ सदाव्रत भी है-जिनमें प्रातःकाल रोटी-दाल