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________________ ( 208 ) बीजो प्रवेश श्रीकार्तिककृष्णे, अष्टमी तिथी उजमाल / मागसिर वदिनी पंचमी दिवसे, चढशे श्रावक माल हो . बेनी मोरी, संसारीने सुखकार // 5 // विजयराजेन्द्रसूरीश्वर राजे, भूपेन्द्र आज्ञा प्रमाण / उपाध्याय श्रीयतीन्द्रमहामुनि, क्रियाकारक जाण हो बेनी मोरी, संसारीने सुखकार // 6 // सूत्र अनेक में ए तप महिमा, वर्णी है अभिधान / शुभ मनथी जो जन आराधे, पामे बहुलो ज्ञान हो बेनी मोरी, संसारीने सुखकार // 7 // अंगी पूजा आठ दिवस लग, अदभुत ज्योत जगाई / अष्टाहिकानो उत्सव करतां, हरखे जनता सवाई हो बेनी मोरी, संसारीने सुखकार // 8 // बेंड बाजा अरु बिजली केरी, रोशनी खूब लगाई। मंडली नाचत नित्य नव रंगे, मन में मोद न माई हो बेनी मोरी संसारीने सुखकार // 9 // ए तप मोटो भबियण करजो, भवजल होशो पार / शिष्य यतीन्द्रनो उत्तम पभणे, सिद्धाचल मझार हो बेनी मोरी, संसारीने सुखकार // 10 //
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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