________________ ( 171 ) पं० अमरविजयगणीने स्वहस्त से प्रतिष्ठा की। प्रभावसागर सत्क-मुनि झवेरसागरने लिखा, अजितनाथजी के प्रसाद से शुभकारक हो / सणोसरा आदीश्वर मन्दिर १५-विक्रमसं१९७२ माघसुदि 11 चन्द्रवार के दिन सणोसरा गांव में भावनगर निवासी वीसा ओशवाल परी० धोल, पुरुषोत्तम त्रस्टि दो के द्रव्य से श्रीआदीश्वर का बिंब स्थापन किया / तपागच्छीय गणिमुक्तिविजय शिष्य मुनिवर मोतीविजयने प्रतिष्ठा की, श्रीकारक हो / गोंडल श्रीचन्द्रप्रभ का मन्दिर १६-कल्याण कारक संवत् 1864 शाके 1729 वैशाखवदि 6 सोमवार के दिन तपागच्छीय विजयजिनेन्द्रसूरि के उपदेश से कुंभाजी के नगर में राजा किसनाजी के समय अणहिल्लपुरपत्तनादि संघने नवीन जिनालय बनवाया और उसमें श्रीचन्द्रप्रभ का प्राचीन विम्ब स्थापन किया। जडेश्वर महादेवदेवल में १७-श्रीमान् गायकवाड की सेवा से प्राप्त प्रतिष्ठा (प्रशंसा ) और भूमिवाले, स्वन्याय से सौराष्ट्र (सौरठ) को अपने आधीन करने और समस्त राज्य भारत