________________ ( 164 ) पंचमी तक कुंभारों को निभाडा नहीं जलाने का, तेलियों को घाणी नहीं चलाने का, और हरएक अमावास्या को खेती बंध रखने का कबूल कराया। इसके उपलक्ष्य में उनको हरसाल पारणा के बाद लाडू सोपारी चूला दीठ दी जाती है। 65 लाखेणी भावनगर तालुके का यह छोटा गांव है, जो अंदाजन 250 घरों की आबादीवाला है। इसमें वीसा श्रीमाली जैनों के 18 और दशा श्रीमाली जैनों के 2 घर हैं, जो सभ्यता, धर्मप्रेम और साधुभक्ति से रहित हैं / गाँव के बहार नदी के किनारे पर एक जीर्ण धर्मशाला है, जो अहमदावादनिवासी हठीभाई हेमाभाई की बनवाई हुई है। इसीके पास एक छोटा उपासरा और उसके एक कमरे में गृहमन्दिर है, जिसमें श्रीमुनिसुव्रतस्वामी की धातुमय प्राचीन पंचतीर्थी स्थापित है। 66 पसेगाम सोवनगढ तालुके का यह गाँव है, जो अंदाजन 350 घरों की आबादीवाला है। इसमें वीसा श्रीमाली जैनों के 30 घर जो तपागच्छ देरावासी हैं। यहाँ दो उपाश्रय, एक छोटी धर्मशाला और एक शिखरबद्ध जिनमन्दिर है-जिसमें श्रीधर्मनाथ आदि की श्वेतवर्ण सवा दो फुद् बडी तीन प्रतिमा स्थापित हैं / पोस्ट ऑफिस और गुजराती स्कूल है।