________________ (146 ) स्त्रियाँ हैं / शहरमें सरकारी लायब्रेरी, स्कूल, हरिजन-पाठशाला, पोस्ट, तारऑफिस भी है और पास ही में रेल्वे स्टेशन है। गंगावाला दरबाजा के बाहर मोडवणिग्ज्ञातीय धर्मशाला है, जो उतारा के लिये सुखप्रद है / अंजार में श्वानों की अधिकता है, इतने कुत्ते सायत ही किसी गाँव में होंगे ? श्वानोच्छिष्ट जलपान करने के कारण यहाँ की जनता में कुत्तोंकासा चिडचिडियापन अधिक देख पड़ता है / यहाँ तपागच्छीय 60, खरतरगच्छीय 20, अंचलगच्छीय 20 और लोंकागच्छीय 100, एवं श्वेताम्बरजैनों के 200 घर हैं और इनमें परस्पर गच्छसंबंधी खींचातान अधिक है। शहर में अंचलगच्छीय सोमचंद धारसीभाई बडे योग्य, विवेकी और गुणग्राही सद्गृहस्थ हैं / संवत् 1955 में हमारे संप्रदाय के मुनिश्रीटीकमविजयजी का चोमासा अंजार में इन्हीं सद्गृहस्थने कराया था। यहाँ चारों गच्छ के जुदे जुदे धर्मस्थानक बने हुए हैं और उनकी संभाल स्व स्व गच्छीय भावुक करते हैं। शहर में सौधशिखरी तीन जिनालय हैं-१ बडाम १-संवत् 1953 से 1961 तक मुनिश्री के कच्छ बागड, कच्छ कंठी और कच्छ अबडासा के जुदे गांवों में चोमासा हुए हैं। अभी तक उन गांवों के भावुक मुनिश्री को याद और उनके गुणवर्णन करते हैं।