________________ (137 ) धार्मिक अभ्यास भी कराया जाता है, जिसमें मन्दिरमार्गी और लोंकागच्छ के जैनबालक अपने अपने धर्मानुकूल प्रतिक्रमणादि सीखते हैं। तपागच्छ का उपाश्रय 2, धर्मशाला 2 और भोजनालय एक है, जिसमें अमृतविजयजैनपाठशाला, और कन्याशाला चालु है। पाठशालामें 51 मूर्तिपूजक बालक और 51 जैनकन्या पंचप्रतिक्रमणादि ग्रन्थों का अभ्यास करते हैं / भोजनालय के सामने एक ही कम्पाउन्ड में दो शिखरबद्ध जिनालय हैं-एक में मूलनायक श्री धर्मनाथजी की श्वेतवर्ण 3 फुट बड़ी प्राचीन प्रतिमा और दूसरे में मूलनायक श्रीपार्श्वनाथस्वामी आदि की पाषाणमय 40, धातुमय 19 और धातुमय पंचतिर्थी चोवीसियाँ 33 प्रतिमा विराजमान हैं, जो विक्रम सं० 1311 से 1873 तक की प्रतिष्ठित हैं। तपागच्छीय उपाश्रय में एक ज्ञानभंडार भी है, जिसमें मुद्रित आगम और मुद्रित पुस्तकों का अच्छा संग्रह है। 32 बेला मोरबी तालुके का यह छोटा गाँव है, जिसकी जनसंख्या 963 है / इसमें वीसा श्रीमालीजैनों के 10 घर हैं, जो मूर्तिपूक और अच्छे भावुक हैं। यहाँ एक गृह'जिनालय है, जिसमें मूलनायक श्रीपद्मप्रभस्वामी की श्वेतवर्ण एक फुट बडी प्रतिमा स्थापित है / आंजणा,