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________________ ( 125 ) 18 जेतलसरजंक्सन___ यह गोंडलताबे का रेल्वे स्टेशन है और एक भाकनगर, एक पोरबंदर, एक वेरावल और एक राजकोट, इस प्रकार वहाँ से रेल्वे की चार लाइनें जाती आती हैं / यहाँ श्वेताम्बरजैनों की 5 दुकाने हैं, जो स्थानकवासी हैं / दो कमरेवाला पका एक स्थानक (उपाश्रय ) है, जिसमें जैन साधु साध्वियों का उतारा होता है / इससे पूर्व में एक माइल दूर 'जेतलसर' गाँव है, जो जैन आबादी से शून्य और जूनागढ से राजकोट जानेवाली सडक के वांये किनारे पर वसा हुआ है। 19 जेतपुर भादर (भद्रा) नदी के वांये तट पर यह इस संस्थान की मुख्य राज्यधानी का शहर है, जो सडकों, बगलों, और इलेक्ट्री की रोशनी से देखनेवालों के चित्त को हरण करनेवाला है। इसके चारो तरफ मजबूत कोट और पांच दरबाजे बने हुए हैं। इस शहर की आबादी अन्दाजन 10,000 घरों की है और इसमें दशा श्रीमाली स्थानकवासियों के 300 और वीसा श्रीमाली मूर्तिपूजक जैनों के 100 घर आबाद हैं। दोनों के स्थानक, उपाश्रय, पाठशाला और कन्याशाला आदि धर्मस्थान अलग अलग हैं। इनमें परस्पर कलह, ईर्ष्या और धार्मिक अनबनाव होने
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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