________________ ( 120 ) 'ऊपरकोट' में ही माने जाते हैं। ये सभी मंदिर शिखरबद्ध और कोरणी धोरणी में अद्वितीय और संगमर्मर की पचरंगी लादियों से सुसज्जित हैं। ऊपरकोट से गोमुखी के दहिने मार्ग से अर्धा माइल ऊंचा चढने पर रहनेमिटेकरी आती है / यहाँ एक शिखरबद्ध जिनालय में रहनेमि की श्यामवर्ण पद्मासनस्थ भव्य मूर्ति विराजमान है। इससे एक माइल ऊंचे जाने पर अंबाटेकरी (तीसरी टोंक) है, जिसकी टोंच पर अम्बिकादेवी का शिखरबद्ध देवल है, जो इस समय वैष्णवों के अधीन है और यह नेमनाथ की अधिष्ठायिका होने पर भी जैनयात्री इसका दर्शन-पूजन नहीं करते / इससे अर्धा माइल उतरने चढने वाद गोरखटेकरी (चोथी टोंक) आती है। यहाँ दो विसामें और एक छोटी देहरी में नेमनाथ के चरण स्थापित हैं / इससे एक माइल उतार और एक माइल चढाव पर वरदत्तटोंक (दत्तात्रयी टेकरी) आती है, जो गिरनार की पांचवीं टोंक कहाती है / इस टोंक पर नेमनाथप्रभु 1000 मुनि परिवार से और उनके वरदत्त गणधर मुक्ति गये हैं। उनके निर्वाणस्थान पर एक शिला में उकेरी हुई नेमनाथ की मूर्ति और वरदत्त गणधर के चरण स्थापित हैं। काठियावाड में गिरनार पहाड सब पहाडों से ऊंचा