________________ ( 116 ) हजारों झाड़ ठसोठस हैं / एक दिन इस नगर में अमनचमन ( एश आराम ) का साम्राज्य था, वहाँ आज चारो ओर हाय और भय का साम्राज्य दिखाई देता है / यही पंचमकाल की विचित्र लीला समझना चाहिये / एक कविने ठीक ही कहा है किजे जे स्थले नृपतितणां नमस्पर्शी प्रासादो हतां, ते ते स्थले आजे ऊकरडा ने स्मशानो भासतां / नकशी करेलां मंदिरो प्राचीनना क्या हाल छे, रे रे पथिक जन ! जाण तुं आ विश्व क्षण-भंगुर छे / / हस्तिनापुर से रास्तागीर (भोमिया ) साथ लेकर एक कोश डूंगर तरफ जाने पर हनुमानधारा टेकरी आती है / इसके ऊपर चढने के लिये छोटी पगडंडी है और उसके दोनों तरफ सघनवृक्षों वाली ऊंडी खाडियाँ हैं, जो ब्रह्मखाड के नाम से प्रसिद्ध हैं / टेकरी की ऊंची तीखीधार पर आस्ते आस्ते (धीरे धीरे ) एक कोश चढने वाद ' हनुमानधारा' स्थान आता है / कैसा भी उतावल से चढनेवाला क्यों न हो, लेकिन इस धार पर चढने में कम से कम दो घंटा टाइम तो अवश्य लगेगी। इस रास्ता से चढते हुए पैर चूक गया तो हड़ियों का भी पता नहीं लग सकता और भोमिया साथ में न हो तो जाया भी नहीं जा सकता / हनुमानधारा पर हनुमान