________________ (104) कच्छदेश में जाने के लिये खुस्की और जल, ये दो ही रास्ते हैं / खुस्की रास्ते से जाने में वीचमें नव रणमार्ग हैं-१ मालिया और सिकारपुर वाला 3 कोशका, २-वेणासर और माणाबावाला ५कोश का, ३-वेणासर और काणवेरवाला 7 कोश का, ४-टीकर और पलासवांवाला 9 कोश का, ५-टीकर और वेणुजगावाला 12 कोश का, ६-पीपराला और आडीसरवाला 2 कोशका, 7 मढूतरा और सणवावाला 4 कोशका, 8- मोरा और मढूतरावाला 6 कोशका, तथा 9 नगर पारकर और वेलावाला 16 कोश का। इन रणों की दोनों तरफी कांठी ( तट) का नाम 'कांधी' है, जो रण के समान ही खारी जमीनवाली है / लेकिन उसमें ऊंची नीची ( सम-विषम ) जमीन है और उस पर छोटे छोटे कहीं कहीं झाड तथा चारा है, इसीसे वह कांधी कहलाती है / रण से 4, या 6 माईल दूर कांधी पर जो छोटे गाँव बसे हुए हैं, उनसे चारो तरफ एक, या दो माईल तक खेत हैं, उनमें वारिश के जलसे वाजरी और कपास पैदा होता है, दूसरी कोई वस्तु नहीं / रण से कांधी के गाँवों तक वीचमें पीने योग्य जल कहीं नहीं मिलता और कांधीगत गाँवों के तालाब में वारिश जल भरा गया हो तो चार छः महीना मीठा जल पीनेको मिलता है, वरना कुओं में तो खारा जल है, लोग उसीको पीते हैं / रण में