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________________ ( 93 ) दिन संघ प्रयाण करके 2 ललियाणा, 3 बोंध, 4 भचाऊ, 5 चीरई, 6 भीमासर, आदि गाँवों में एक एक दिन की स्थिरता करता हुआ, सातम के दिन अंजार शहर में पहुंचा / शहर के बाहर ' मोड वणिग ज्ञातीय-मांजी देवकरण धर्मशाला' में संघने तीन दिन का मुकाम रक्खा और शहर जिनालयों के दर्शन पूजन का लाभ प्राप्त किया / यहाँ अंचलगच्छीय सेठ सोमचंद धारसीने प्रीतिभोजनादि से संघ का अवर्णनीय स्वागतसन्मान किया। माघशुक्ल 10 के दिन संघ अंजार से निकल कर और भूवडगाँव में एक दिन ठहर कर सुदि 11 के दिन सुवह साढे नौ बजे प्राचीनतम श्रीभद्रेश्वरतीर्थ पहुंचा। सेठ वर्द्धमान-कल्याणजी पेढ़ीने संघ का भारी समारोह के साथ सामेला स्वागत किया और इस स्वागत की शोभा बढाने और श्रीसंघ के दर्शन करने के लिये भुज, मांडवी, देसलपुर, अंजार आदि गाँव नगरों के कतिपय सद्गृहस्थ भी उपस्थित हुए थे। विशाल धर्मशाला में संघ का मुकाम होने बाद संघपति प्रतापचंद धूराजीने संघसमुदाय सह तीर्थपति प्रभु महावीरस्वामी और पार्श्वनाथस्वामी को सुवर्ण पुष्पों से वधाया, चैत्यवन्दनादि भावस्तव किया और स्नान मजन करके विधिपूर्वक पूजा-भक्ति की / ग्यारस-बारस के दिन प्रभु की लाखीणी अंगी
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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