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________________ कुछ दूर सडक के किनारे पर दिगम्बरों की एक छोटी सी धर्मशाला है / जिसमें दो सौ यात्री आनन्दसे ठहर सकते हैं। यहाँ से दक्षिणोत्तर अन्दाजन 23 मील के फासले पर 'बावनगजा' पहाड है, जो नर्मदानदी के किनारे पर स्थित है। पहाड की ढालू जमीन पर नीचे सोलह दिगम्बर मन्दिर बने हुवे हैं। पहाड के आधे चढाव पर एक ही पत्थर की खडे आकारवाली 30 हाथ बडी आदिनाथ भगवान की मूर्ति है, जो दिगम्बर है / इस के सामने एक छोटे कंपाउन्ड में पांच हाथ बडी कार्योत्सर्गस्थ एक दूसरी प्रतिमा और भी है। पहाड की ऊपरी चोटी पर, एक मन्दिर है जिसमें जिनेन्द्र भगवान के चरण स्थापित हैं। ये जिनचरण सार्वजनिक हैं इस कारण इनकी सेवा-पूजा जैन और जैनेतर सभी करते हैं / दरअसल में यह पहाड दिगम्बर जैनों के विशेष मान्य है। दिगम्बर जैनों के अनेक सिद्धक्षेत्रों में से यह एक है और यहाँ प्रतिवर्ष अनेक दिगम्बर यात्री आते हैं। 2 बाग-- गवालियर रियासत के मनावर प्रान्त में पहाडियों के बीच वाघनी नदी के किनारे पर यह गांव बसा हुआ है। इसमें श्वेताम्बर जैनों के 18 घर, एक मन्दिर और एक उपासरा है / मन्दिर में भगवान् श्रीविमलनाथ स्वामी की सवा हाथ बडी सुन्दर मूर्ति बिराजमान है / मन्दिर के गोखडे में एक शिला-लेख इस प्रकार लगा हुआ है
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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