________________ श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरेभ्यो नमः श्रीयतीन्द्रविहारदिग्दर्शन / यस्योदारविचारसारविलसत्तथ्योपदेशच्छटा. सौरभ्यं जगदद्भुतं जगति तत्पाखण्डिनोऽलोपयत् / भव्यानां हृदयाम्बुजानि नितरां प्रोद्घाटयामास ना, . कल्याणं स हि तन्वनीतु सततं राजेन्द्रसूरीश्वरः // 1 // इस दिग्दर्शन में जिस रास्ते से परमपवित्र-प्राचीन तीर्थों की जियारत के लिये हमारा विहार हुआ, उसीके दरमियान आये हुए गांवों के नाम, उनमें श्वेताम्बर जैनों के घर, जिनमन्दिर, उपाश्रय, धर्मशाला और एक गांव से दूसरा गांव कितने कोश है ? इत्यादि बातों का यत्किञ्चित् उल्लेख किया जाता है, जो साधु साध्वियों को विहार करने में अति उपयोगी और इतिहास-प्रेमियों को लाभप्रद और मददगार होगा। 1 कुकसी-- यह धार रियासत का नीमार-प्रान्त में छोटा, पर अति रमणीय कसबा है। इसके चारों ओर पहाडी प्रदेश है। यहाँ पोष्ट ऑफिस और तार घर है। गांव में चारों और पक्की सडकें बनी हुई हैं / यहाँ से रेल्वे स्टेशन महु 30 कोश और दाहोद स्टेशन 35 कोश है / गाँव में श्वेताम्बर