________________ ( 273) इस लेख में संघवी गुणधर का नाम दिया गया है / यह भी सुवर्णगिरि पर वसते हुए जैनसद्गृहस्थों में का उस समय का कोई मुख्य सदगृहस्थ मालूम होता है, जो ठाकुर आम्बड़ का मित्र (साथी) होगा। (26) 7- श्री परमात्मा ( ईश्वर ) को नमस्कार हो सं० 1863, शाके 1728 उत्तममास फाल्गुन सुदि 12 भृगुवार के दिन कुन्द, कुमुद और देदीप्यमान सुन्दर चन्द्रचन्द्रिका से भी अतिस्वच्छ विलास. करती हुई यशोराशि से धवलित किया है समस्त भूमंडल को जिसने, और ग्रीष्मकालिक सूर्य के समान अखंडित शश्वत्तेज से उत्पन्न वन्हि ज्वालावलियों से व्याप्त वैरिजन रूप काननोत्पन्न धूमजाल से धूमायित किया है आकाश मंडल को जिसने ऐसे राजराजेश्वर महाराजाधिराज श्री 108 श्रीमानसिंहजी के पुत्र महाराज राजकुमार श्री छत्रसिंहजी के बिजय से सुरक्षित श्रीजालोरगढ में श्रीमान् गोडीपार्श्वनाथ भगवान् का यह मन्दिर बृहत्खरतरगच्छं में भट्टारकीय गच्छाधिगज जंगमयुगप्रधान भट्टारक श्रींजिनहर्षसूरीश्वरजी से प्रतिष्ठित हुआ / वट्टाभिधानगोत्रीय मुख्यमंत्री मू० अखयचन्द्र श्रोसवालने अपने पुत्र लक्ष्मीचन्द्र के सहित यह मंदिर कराया। सोमपुरा कारीगर काशीरामने इसको बनाया / " पृ० 182 (27) 8-" सं० 1175 वैशाख वदि 1 शनिवार के दिन श्री जावालिपुर (जालोर) के मन्दिर में श्रावक सामन्त के पुत्र वीरकने अपने पुत्र उत्रोचन, शुभंकर, खेहड सहित खेहड, पुत्र देवांग, . 18