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________________ (271) के पुत्र बीजाक ने देवड के सहित अपने पिता झांपा के श्रेय के लिये श्रीजाबालीपुर ( जालोर ) के श्रीमहावीर-मन्दिर में करोदि कराई कल्याण हो / " पृ० 180 (23) , ४-"सं० 1320 माघसुदि 1 सोमवार के दिन नाणक गच्छ के अधीन रहे हुए श्रीचन्दनविहार नामक देवालय के श्री महावीरप्रभु के आसोजमास के अष्टाह्निका महोत्सव में क्षीबरायेश्वर स्थानपति के भट्टारक रावल लक्ष्मीधरने 100 द्रम्म अर्पण किये। उसके व्याज में से गोष्टिकों के सहित स्थानपति को श्री महावीरदेव की पूजा में 10 द्रम्म खर्च करना चाहिये | " पृ० 181 (24) 5-" सं० 1323 मगसिर सुदि 5 बुधवार के दिन महाराज श्रीचाचिगदेव के शासनकाल में उसके मुद्रारूप प्रलं. कारहार को धारण करनेवाले महामात्य श्री जयदेव के समय में श्री नाणकीयगच्छ के आश्रित, श्रीमद्धनेश्वरसूरि के द्वारा स्थापित श्रीचन्दनबिहार नामक मंन्दिर में तैलगृह ( तेलिया) गोत्र में उत्पन्न महं नरपतिने खुद के भराये हुए, जिनयुगल की पूजा के निमित्त मठपति गोष्ठिक के सामने श्री महावीर स्वामी के भंडार में 50 द्रम्म दिया। उसके व्याज से उत्पन्न आधे द्रम्म से प्रतिमास पूजा खर्च देना चाहिये / " पृ० 181 : ..." (25) / 6- सं. 1353 वैशाख वदि 5 सोमवार के दिन स्वर्णगिरि पर राज्यकर्त्ता महाराजकुल श्रीसामन्तसिंह, तथा उनके चरणकमल की सेवा और राज्यधुस को धारण करनेवाले श्री कान्हडदेव के
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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