________________ (268) भूषण शेठ यशोदेव, उसके पुत्र सदाज्ञाकारी और निज के भाई यशोराज, जगधर से सब मनोरथों को पाये हुए परमश्रावक सेठ यशोवीरने सं० 1236 वैशाख सुद 5 गुरुवार के दिन संपूर्ण तीन लोकभूमी के सुख के लिये परिभ्रमण करने से थके हुए कमलाविलासी ( धनार्थी ) लोगों को विश्राम करने का विलास भवन स्वरूप यह मंडप राजा को दिया / ४-जिस ( मंडप ) की रचना ( बनावट ) को देखकर नाना देशों से आये हुए नवीन नवीन स्त्री पुरुष वर्गोने तृप्ति को प्राप्त नहीं की। तदनन्तर अपने अपने घर आये हुए भी उन लोगोंने उस ( मंडप ) की विचित्र और तेजस्वी रचना को प्र. तिदिन वारं वार याद करके उत्कंठा से इस प्रकार वर्णन की / ५-क्या ? यह पृथ्वरूिप उत्तम स्त्री के भालस्थल का तिलक है ?, अथवा लक्ष्मी के हाथ में रहा हूआ क्रीडा कमल है ?, क्या यह यहाँ देवताओं से स्थापित अमृत पूर्ण कुंड है ? इस प्रकार जिस के देखने की विधी में अनेक विकल्प होने लगे। ६-इस मंडपने अपनी गंभीरता से पाताल को, विस्तार से भूतल को और उँचाई से आकाश को, इस प्रकार भुवनत्रय को व्याप्त किया। ७-मीन, मकर के सहित, कन्या वृश्चिक और कुम्भ से व्याप्त, मेष से युक्त, कर्क, सिंह और मिथुन से देदीप्यमान, वृषभ से अलंकृत, तारा रूप कुमुदों से विभूषित, चन्द्रकिरणरूप अमृत से परिपूर्ण, और उत्तम राजहंसों से सेवित आकाश