________________ (261) सेठ हैं। उनके छोटे भाई नवलमल, उनका पुत्र यशराज, और मुनीम प्रतापमल जो नित्य कार्य करनेवाला और गुरुदेव का पूर्ण भक्ति करनेवाला है / 42-44 श्रावकप्रवर कपूरचन्द्र के सुपुत्र बाफणा जीतमल भूताने जिनेन्द्रचरण कमल का ध्यान करते हुए अञ्जनशलाकारूप कार्य में अत्यंत भक्ति से कर्तृत्व पद को धारण किया अर्थात्-प्रचुर धनव्यय करके नवसौ 900 जिनप्रतिमाओं के ऊपर 'जसरूप जीतमल ' ऐसा नाम रखवाया / जीतमल के बडे भाई यशोरुपजी के कस्तूरचन्द्र, यशराज, और चिमनीराम ये तीन पुत्र, और खूबचन्द तथा हर्षचंद ये दो पौत्र (पोतरे) कस्तूरचन्दके सिरेमल नामक पुत्र हुए, जो अति श्रद्धालु और भक्ति करनेवाले हैं / पृ० 133-40 इस प्रशस्ति में अञ्जनशलाका महोत्सव पर जो साधु मौजूदा थे उन्हीं के नाम दर्ज किये गये हैं, सब के नहीं। परन्तु महाराज श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरश्विरजी का शिष्य प्रशिष्यादि पूरा समुदाय इस प्रकार है