________________ (268) उसके नियुक्त किये हुए महं० गजसिंह पंचकुल के समय में वहिवटदार नैगमजाति के कायस्थ महत्तम सुभट और चेटक कर्मसिंहने खुद के कल्याण के लिये आसोज की यात्रा के निमित्त तथा आसोजसुदि 14 के दिन महावीरदेव की पूरा भणाने वास्ते गाँव के पंच और अधिकारियों के पास से मांडवी की जकात में से प्रतिवर्ष 13 द्रम्म और 7 विंशोपक महावीर मन्दिर में देने का ठहराव किया। यह ठहराव स्वश्रेय के लिये किया गया अतएव चन्द्रसूर्य की स्थिति पर्यन्त इसका सब को पालन करना चाहिये। 4 शंखेश्वरजी की देवकुलिका "संवत् 1334 वर्षे राधमुदि 10 रवी श्रीथीयारागच्छे सलखणपुरे श्रीसर्वदेवसरिसंताने श्रीश्रीमालज्ञातीय भा०... सुत लूणसिंहकेन भगिनी श्रीसूहरयोर्थ सुविधिनाथस्य परिकरकारितः दिवं च कारितं / " / -सं० 1334 वैशाखसुदि 10 रविवार के दिन सलखणपुर निवासी थीयारागच्छीय सर्वदेवसूरिकी संतान में लूणसिंह भंडारीने अपनी बहन सूहड के श्रेय के लिये श्रीसुविधिनाथ का परिकर और विम्ब कराया। 5 कुंभारिया पार्धनाथमंदिरसंवत् ११६१थिरापद्रीयगच्छ श्रीशीतलनाथवि कारित।" - सं० 1161 में थिरापगच्छाय (किसी श्रावकने पारासण के पार्श्वनाथ की देवकुलिका में ) श्रीशीतलनाथ का विन्ध कराया।