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________________ तमान ( 195) 25 माली 12 दरजी 2 रंगरेज 11 कठियारा 7 नाई 30 मोची 120 भाट 15 सोलंकी- 1 खाटकी जागीरदार 120 भील'. 1 विसायती मुसलमान 2 बांभी तालावाला 40 वणकर 1 सिलावट ( कडीया) (वांभीया ) 2 चूडीगर मुसल्मान 1 वाधरी 17 चमार ( जूतीया ) 8 मीरासी मुसलमान 1 सरगरा ढोली 5 नीरगर 1 भंगी ( महतर ) सन् 1611 में एक अंग्रेजी व्यापारी निकोलश उफ्लेट मारवाड़ में आया था, उसने भीनमाल को 36 मील ( 18 कोश) का घेगवाला, लुप्तप्राय अनेक तालाब और किलेवाला लिखा है / लेकिन आज यहाँ उसी जगह अनेक खंडेहर नजर पडते हैं और उनपर पीलुवृक्षों की भर-भार है। दक्षिण, उत्तर और पश्चिम तरफ सपाट तथा खुला मैदान है, जो पश्चिम में वेलुमय भूमि में मिल जाता है / मेदान की सपाटी पर छूटी छवाई पांचसौ और आठसौ फीट ऊंची छोटी छोटी पहाडियाँ ( टेकरियाँ ) हैं / शहर के बाहर पांच छः मील के फासले पर उत्तर में जालोरद्वार, पश्चिम में सांचोरद्वार, ईशान में सूर्यद्वार, अग्निकोन में लक्ष्मीद्वार; इन चार द्वारों के खंडेहर पड़े हैं / इसके भूमिशायी मकान, देवालय, और तालावों के विशाल खंडेहरों से अनुमान किया जा सकता है कि किसी समय यह शहर जन और धनसमृद्धि से परिपूर्ण होगा।
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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