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________________ (19) होती है / इसके अलावा दो चोवीसी गाँवों में वसनेवाले जैमों में इस मन्दिर के लिये लगे हुए लागे की रकम भी सालियाना दो हजार की आती है / इस प्रकार पांच -हजार रुपया सालियाना पैदावारी होने पर भी यहाँ पूजा का प्रबन्ध अच्छा नहीं है और न यात्रियों के ठहरने के लिये कोई अच्छा बन्दोबस्त है। 169 मेंगलवा. यहाँ ओसवालजैनों के 86 घर, एक छोटा उपासरा, और एक जिन मन्दिर है / यहाँ साध्वागमन के अभाव से जैनियों में विवेक की बहुत खामी है पर तो भी भक्ति-संपन्न है / यहाँ के सभी जैन सनातन त्रिस्तुतिक संप्रदायके हैं और भाँड़वा वीर्थ का वहीवट इन्हीं के हाथ में है। 170 आणा____ यह गाँव छोटा है, इसमें जैन ओसवालों के 15 घर हैं, जो अच्छे भावुक हैं। यहाँ एक उपासरा और उसके एक कमरे में प्रतिमा है जो नवीन और भगवान पार्श्वनाथजी की है। कहा जाता है कि पेश्तर यहाँ जैनों के 100 घर थे, परन्तु व्यापार की कमी होने से आजीविका के लिये आसपास के दूसरे गाँवों में जाके बस गये / यहाँ के ठाकुर लक्ष्मणसिंहजी अच्छे सत्संगी और धर्मानुरागी हैं। 171 ऊनडी: इस गाँव में ओसवालजैनों के 30 घर हैं, जो विवेकहीन
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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