________________ (182) गजसिंह, तिहणापुत्र सोनी नरपति जयता विजयपाल नरपतिभार्या नायकदेवी पुत्र लखमीधर मुवणपाल सुहडपाल, द्वितीयभार्या जाम्हणदेवी इत्यादि कुटुंबसहितेन मार्यानायकदेवी श्रेयोऽर्थे देवश्रीपार्श्वनाथचैत्ये पंचमीबलिनिमित्तं निश्रानिक्षेपहट्टमेकं नरपतिना दत्तं, तद्भाटकेन देवश्रीपार्श्वनाथ गोष्ठिकैः प्रतिवर्ष आचन्द्रार्क पंचमीबलिः कार्यः। शुभं भवतु / . जालोर से पश्चिमोत्तर कोण में लालदरवाजे से चार फौग के फासले श्रीगोडीजी का मन्दिर है, जो एक परकोटे के बीच में मजबूत बना हुआ है / इसमें श्रीगोडी-पार्श्वनाथ के चरण स्थापित हैं। इनके पव्वासन पर इस प्रकार लेख है " श्रीपरमात्मने नमः / सम्बद्वैश्वानर-कृत्तिकातनयानननाग-रोहिणीरमण (1863 ) प्रमिते वसुनयनाश्ववसुन्धरा ( 1728) परिमिते शके च प्रवर्त्तमाने मासोत्तम-फाल्गुनमासवलक्षे पक्षे द्वादशी 10 तिथौ भृगुवासरे कुन्दकुमुदचश्चबारुचन्द्रचन्द्रिकातिविशदविलसद्यशोवितानधवलिताखिलजगमंडलेषु, तरुण तरणिमंडलसमप्रभाऽखंडाऽस्खलितजयोत्थनापज्वलज्ज्वालामालावलीढवैरिजनकाननोद्भूतप्रभूतधूमधूसरितगीर्वाणपथेषु, राजराजेश्वरमहाराजाधिराजश्री 108 श्रीमानसिंहेषु, तत्सुत श्रीमन्महाराजराजकुमारश्रीछत्रसिंहजीविजयपालितश्रीजालोरदुर्गे श्रीमद्गवडीपार्श्वनाथजिनेन्द्राणामयं प्रासादा, श्रीबृहत्खरतरभट्टारकीयगच्छाधिराजजंगमयुगप्रधान-भट्टारकश्री श्रीजिनहर्षसूरीश्वरैः प्रतिष्ठितः / ओशवंशोद्भव-बदाभिधानगो