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________________ (177 ) चरण. मूलनायक पाषाण. सर्वधातु | मुहल्लों का नाम कामास की / की " .. 0 कांकरिया वास फोला वास खरतर वास पोशाल में खानपुरा वास तपा वास 0 ~ 0 1 पार्श्वनाथ 2 वासुपूज्य 3 पार्श्वनाथ 4 पार्श्वनाथ 5 मुनिसुव्रत 6 महावीर 7 नेमनाथ 8 शांतिनाथ 9 आदिनाथ 1. ऋषभदेव - 0 ~ 0 0 . 0 - 5 | सूरजपोल यहाँ शहर में एक जूना तोपखाना है, जो मुसलमानी अमलदारी में विशाल जैन-मन्दिर को तोड़ कर बनाया गया है। कहा जाता है कि पेश्तर यह बड़ा भारी विशाल और 72 जिनालय सौधशिखरी जिन-मन्दिर था। इसका नीचे का विभाग अब भी जैन-मन्दिर के अस्तित्व को बतला रहा है / इसके भीतरी कमरे के स्तंभे और छबने के लेख इसको जिन-मन्दिर सिद्ध करते हैं। इसमें यों तो दस बारह लेख जुदे जुदे समय के लगे हुए हैं, परन्तु
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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