________________ (173) जालों ( पीलुर्पक्षों) के होने के कारण है। इसके ऊपर का किला राजपुताना के प्रसिद्ध किलों में से एक है। यह चौहानों और परमारों का जूना निवास स्थान है / इस किले की लम्बाई 13 मील और चौडाई 1 मील के लगभग तथा चढाई 2 मील की इस समय ( वर्तमान ) में मानी जाती है। मजबूती के लिये इस किलेने बडी नामवरी पाई है और मुसलमानी बादशाहों की कइ टक्करें खाई हैं / इतिहासों से पता लगता है कि-अलाउद्दीन खिलजी बादशाह और उसके सेनापति अलफखान और नसरतखान ने सन् 1206 में किलेका घेरा डाला और यहाँ 11 वर्ष तक बराबर लड़ाई चलती रही। इस विग्रह में इस किले को बहुत नुकशानी पड़ी / ' मारवाड राज्य का इतिहास' में लिखा है कि अलाउद्दीन खिलजीने 8 वर्ष के घेरे के बाद राव कीतू के छठ्ठी पीढी में उत्पन्न राव कानडदे चौहान से लड कर नष्ट किया / इस युद्ध में कान्हणदेने संवत् 1338 वैशाखसुदि 6 को वीरगति पाई थी, किन्तु यह घटना 'तवारिखफरिस्ता' के लेखानुसार हीजरी सन् 706 ( इस्वीसन् १३०६-वि० सं० 1366 ) में और 'मुहणोतनेणसी की ख्यात ' के अनुसार वि० सं० 1368 की हुई है। और वीसलदेव (विग्रहराज) चतुर्थ की मृत्यु होने बाद भी मलेक खुरमखान लोहानीने गुजरात के सुलतान अफरखान की मदत से खूब लडाई की और आखिर किले पर अधिकार करके मुसलमानी झंडा खडा किया / इन मुसलमानी हमलों से केवल किले को ही नुकशान नहीं पहुंचा, किन्तु किले में स्थित जिनमन्दिरों का भी भारी नुकशान हुआ /