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________________ यह शहर जोधपुर से 71 मील के फासले, नैऋत्य-कोण में सुकडी नदी के दक्षिण किनारे पर वसा हुआ है / इसके पूर्व सिरोही-राज्य, पश्चिम लूनी नदी, उत्तर पाली, बालोतरा परगना, और दक्षिण सांचोर, तथा जसवंसपुरा परगना है। इसकी लम्बाई पूर्व और पश्चिम 72 मोल, और चौडाई उत्तरदक्षिण 50 मील के अन्दाजन है। इसमें दो पहाडियाँ हैं-एक इसके पश्चिम और दूसरी दक्षिण-पूर्व जो 2797 फिट ऊंची है। पश्चिम-पहाडी पर मशहूर किला जो 800 गज लम्बा और 400 गज चौडा और 1200 फुट ऊंचा है / जादुदान चारण की बुंध के अनुसार जालोर का किला 1247 गज लम्बा और 470 गज पहोला है / इसका चढाव दो हजार कदम का है / इसके तीन दरवाजे और बावन बुरज हैं / इस किले की सब से पहले नींव भोजने डाली थी, उसके बाद इसका कितुक, चाचींगदेव, और सामंतसिंह चौहान ने उद्धार कराया, तथा दिवान फतेखान प्रथमने इसके पतित हिस्से की मरामत कराके यहाँ एक महल बनवाया / जालोर पहाड का असली नाम सोनागिर (सोने का पहाड) है और कईएक लोग इसको जालन्धर जालीन्धर और जालीपुर' भी कहते हैं, जो जलन्धरनाथ की समाधि, अथवा अधिक 1 भूस्तरवेताओं का अनुमान है कि-यह प्राचीन काल में ज्वालामुखी पर्वत होगा क्योंकि इस पहाड में से किसी किसी वक्त बहुत सख्त भूकम्प के मांचके निकलते हैं / बोयलो साहब का अभिप्राय है कि इस पहाड में सीसा, लोहा, तांबा आदि धातुओं की भी खाने हैं /
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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