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________________ (160) 140 खिमाडा___इस गाँव में ओसवाल जैनों के 5 और पोरवाड जैनों के 25 घर, एक उपासरा, एक छोटी धर्मशाला और एक गृहमन्दिर है, जिसमें मूलनायक श्रीश्रेयांसनाथजी की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। मन्दिर में पाषाण की 7 और सर्वधात की 3 मूर्तियाँ है / यहाँ के जैन सनातन त्रिस्तुतिक संप्रदाय के हैं / 141 कोशिलाव गोडवाड परगने में यह अच्छा कसवा है / यहाँ ओसवालों के 150 और पोरवाडों के 80 घर हैं, जिनमें सनातन-त्रिस्तुतिकों के 60 घर हैं / गाँव में दो जिन-मन्दिर हैं। प्रथम पंचायती बड़ा सौधशिखरी है, जिसमें श्रीशान्तिनाथ भगवान् की 1 हाथ बड़ी प्राचीन मूर्ति स्थापित हैं। इसके दोनों तरफ बिराजमान दो प्रतिमाएँ नवीन हैं। यह मन्दिर सं० 1951 में बन के तैयार हुओं और सं० 1652 माहसुदि 5 को, इसकी प्रतिष्ठा हुई। दूसरा मन्दिर सदर बाजार में बहुत ऊंची खुरशी पर बना हुआ है। इसको त्रिस्तुतिक-जैनसंघने बनवाया है, इसकी प्रतिष्ठा सं० 1955 माहसुदि 13 के दिन तपस्वी श्रीरूपविजयजीने की है। इसके मूलनायक भगवान् श्रीपार्श्वनाथजी हैं-जिनकी अञ्जनशलाका कोरटानगर में 1656 के साल महाराज श्रीराजेन्द्रसूरीश्वरजीने की है। इसके वाम-भाग के विशाल कमरे में श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरिजी महाराज की भव्य-मूर्ति
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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