________________ (155) संवत् 236 वर्षे ज्येष्टसुदि 13 नौ सोऽयं मातृधारमति पुण्यार्थं स्तंभको हृतः।" इन दोनों लेख में * हाएल' 'तलाराभाव्य ' और 'युगंधरी ' ये शब्द ध्यान खींचने लायक हैं / एक हल से एक दिन में खेडी हुई जमीन में उत्पन्न धान्य को हाएल कहते हैं, पुराध्यक्ष, या नगररक्षक अथवा तलारागाँव के महसूल को तलाराभाव्य कहते हैं और जुआर को युगंधरी कहते हैं। ___ दूसरा शिखरबद्ध जिनमंदिर खिमेल जानेवाले दरवाजे के पास है / इसको पोरवाड़ मोतीजी वरदा की गृहलक्ष्मी श्राविका हांसीदेवीने नया बनवाया है / यह मन्दिर छोटा होने पर भी बड़ा सुन्दर है और इसकी प्रतिष्टा होना बाकी है। ___विक्रमीय 10 वीं शताब्दी में पंडेरकगच्छ की उत्पत्ति इसी कसबे के नाम पर से हुई मालूम पड़ती है / इस गच्छ में अनेक प्रभावशाली आचार्य हो गये हैं और उन्होंने अनेक स्थानों पर प्रतिष्ठा आदि शासनोन्नति के कार्य किये हैं। पंडेर कगच्छ के आचार्यने ससोदिया वंश की स्थापना की थी। मेवाड के सीसोदियाराजा और सीसोदिया राजपूत षंडेरिया कह लाते हैं। प्रसिद्धि भी है कि सीसोदिया षंडेसरा, चउदशिया चोहाण / चैत्यवासिया चावडा, कुलगुरु एह वखाण // 1 // सागरदत्तरास के रचयिता आमदेवसूरि के शिष्य शान्तिसूरि और ' ललितांगचरित्ररास' के कर्ता शान्तिसूरि के शिष्य