________________ (149) 130 कोरटा (तीर्थ )-- यह प्राचीन तीर्थस्थान एरनपुरा स्टेशन से 7 कोश पश्चिम है / इसके पास ही धोले पत्थर की एक छोटी पहाडी है, जो धोलागढ के नाम से पहचानी जाती है / यहाँ जैन ओसवालों के 50 घर हैं, जो विवेकशून्य हैं ! सब मिलकर यहाँ चार सौधशिखरी जिनमन्दिर हैं, जिनमें महावीरप्रभु का सब से अधिक पुराना हैं और इसी मन्दिर के कारण यह स्थान तीर्थ स्वरूप माना जाता है / इस तीर्थ का विशेष वृत्तान्त अस्मल्लिखित ' श्रीकोरटा तीर्थ का इतिहास' नामक किताब से जान लेना चाहिये / 131 कानपुरा यह छोटा गाँव हैं इसमें जैनों के 15 धर और 1 गृहमंदिर है, जिसमें शान्तिनाथजी की भव्यप्रतिमा बिराजमान है / 132 शिवगंज जवाँई नदी के दहिने किनारे पर यह कसबा वसा हुआ है / सं० 1910 में सिरोही के महाराव शिवसिंहजीने इसको श्राबाद किया और इसकी तरक्की के लिये उन्होंने सिर्फ 11) लेकर एक एक मकान की जमीन का पट्टा कर देने की आज्ञा दी / सब से पहले इसकी नींव पालीनिवासी कालुरामजी-ओसवालने डाली थी, बाद में सरकार की रहमदिली और एरनपुरा स्टेशन नजदीक होने से यहाँ पर कई गावों के जैन और जैनेतर कुटुम्ब के कुटुम्ब श्रा श्राकर वस गये / इस समय इसकी आबादी 2000 घर के अन्दाजन होगी।