________________ (111 ) त्रित होते है / इस धाम में लोगों के मकानों, मन्दिर और हलवाइयों की दूकानों पर दीपक में घी के सिवाय घांसलेट या मीठा तेल जलाने की सख्त मुमानीयत है / अंबावजी के मन्दिर को महामात्य वस्तुपालने बनवाया था और कुंभारीया की तरक्की के समय यह जैनियों के अधीन था / परन्तु श्रारासणध्वंस के बाद इस पर वैष्णवोंने अपना अधिकार जमा लिया / अंबावजी भगवान् श्रीनेमिनाथस्वामी की अधिष्टायिका है, और इसका दूसरा नाम आरासुरी देवी है / यहाँ पर यात्रा के लिये जैन और विष्णु दोनों आते हैं / आबूरोड और दांता-भवानगढ से यहीं तक मोटर पाती है। यहाँ से कुंभारीया पौन मील के लगभग दूर है। यहाँ से कुंभारिया तक बैलगाडियाँ जाती हैं / 66 खराडी (आबूरोड) यह रेल्वे स्टेशन है और स्टेशन के पास ही खराडी नाम का कसबा है जो एक छोटे शहर के समान मालूम होता है। इसमें पक्की सडक सदर बाजार में बनी हुई हैं। एक अस्पताल और इसाई स्कूल भी हैं। इस के पास ही बनासनदी हैं जो सिरोही की पहाड़ियों से निकली है और दक्षिण की ओर मुडकर पाबूरोड, सांतलपुर, पालनपुर के राज्य में होकर कच्छ के रण में जा कर मिली है / यहाँ पर केसर शुगर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का चीनी बनाने का कारखाना, सरकारी बाग और कोठी भी है। इस कसबे में श्वेताम्बर जैनों के 20 घर और एक बडी धर्मशाला है / धर्मशाला के प्रवेश द्वार के ऊपर एक जिनगृह है जिसमें भगवान् श्रीऋषभदेवस्वामी की सुन्दर मूर्ति विराजमान है।