________________ (110 ) की ढाई हाथ बड़ी श्रीपाश्वनाथस्वामी की मूर्ति स्थापित है जो सं० 1665 की प्रतिष्ठित है। इस मन्दिर की परकम्मा में भी सं० 1661 के बने हुए छोटे छोटे देवालय हैं जो खाली पडे हुए हैं / इस के रंग-मंडप में सफेद वर्ण के तीन हाथ बडे दो काउसग्गिया हैं जो बडे सुन्दर और प्राचीन है / पांचवां मन्दिर संभवनाथ का है, इसमें सफेदवर्ण की दो हाथ बडी अतिसुन्दर श्रीसंभवनाथस्वामी की मूर्ति स्थापित है। इसके गंभारे के बाहर पाठ ताक बने हुए हैं जिनमें से एक में मूर्ति बिराजमान है, बाकी खाली हैं / यहाँ के सभी मन्दिर विक्रम की ग्यारहवीं और बारहवीं शताब्दी के बने हुए मालूम पडते हैं / यह तीर्थ आबूरोड-स्टेशन से 10 कोश और दांता-भवानगढ से 12 कोश दूरी पर हैं / यहाँ दो धर्मशाला और पाणंदजी कल्याणजी का कारखाना है / कारखाने में यात्रियों के लिये बरतन, गोदडा और सरसामान का अच्छा प्रबन्ध है / यात्रियों को यहाँ किसी तरह की तकलीफ नहीं पडती / 68 अंबावजी. यह छोटी पहाडियों के सघन जंगल में वैष्णवों का धाम है। यहाँ अंबावजी का एक छोटा मन्दिर है और इसी नामकी पोष्ट ऑफीस भी है / यह एक छोटा गाँव है परन्तु छोटी बडी 50-60 पक्की धर्मशालाओं के कारण शहर के समान देख पडता है / इस में हमेशा भिन्न भिन्न गाँवो के 200-300 यात्री पडे रहते हैं और मेला के समय में हजारों की संख्या में यात्री एक