________________ ___(106) हैं। धर्मशाला से टेकरियों के तरफ थोडी दूर जाने पर एक जीर्ण कुआ और जलकुंड दिखाई देता है / मूल-मन्दिर के पिछले भाग में कोट से लगते ही एक कमरे में छोटे पांच मन्दिर दिगम्बरों के हैं, जो श्वेताम्बरीय मन्दिरों के बाद के बने हुए हैं / मूल-मन्दिर से 2 मील दूर पश्चिम-उत्तर तारण-देवी की देवरी और एक गुफा है। जिनमें बौद्धों की मान्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मुख्यमन्दिर के सामने वाम-भाग में तारंगा की पेढ़ी है जिसमें यात्रियों के लिये बिछोना, बरतन आदि का अच्छा प्रबन्ध है / 92 टेबू तारंगा-पहाड़ी के नीचे यह एक छोटा गाँव है, यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 5 घर, एक उपासरा, एक बड़ी धर्मशाला और एक प्राचीन जिनमन्दिर है जिसमें भगवान् श्रीअजितनाथस्वामी. की पुरातन-मूर्ति बिराजमान है / पेश्तर तारंगा तीर्थ की यात्रा के लिये आने वाले यात्री और संघ इसी रास्ते से पहाड़ पर चढ़ते थे। 93 भालूसण____ यह गाँव छोटी छोटी पर्वत श्रेणि के पास बसा हुआ है। इसके चारों ओर वेलुमय प्रदेश है और खाडाखुड़ी अधिक हैं। यहाँ के मार्ग ऐसे हैं जिनमें भूले पड़ा हुआ मनुष्य फिर इच्छित स्थान पर आना कठिन है / मार्ग में जाते समय यहाँ का एक बोलाउ साथ में रखना पड़ता है जो सीधे रास्ते ले जाता है /