________________ (488) शान्तिरेव महादानं क्षान्तिरेव महातपः / क्षान्तिरेव महाज्ञानं क्षान्तिरेव महादमः // 1 // क्षान्तिरेव महाशील क्षान्तिरेव महाकुलम् / शान्तिरेव महावीर्य क्षान्तिरेव पराक्रमः // 2 // क्षान्तिरेव च संतोषः क्षान्तिरिन्द्रियनिग्रहः / क्षान्तिरेव महाशौचं क्षान्तिरेव महादया // 3 // शान्तिरेव महारूपं क्षान्तिरेव महाबलम् / शान्तिरेव महैश्वर्यं क्षान्ति धैर्यमुदाहृता / / 4 // क्षान्तिरेव परं ब्रह्म सत्यं क्षान्तिः प्रकीर्तिता / शान्तिरेव परा मुक्तिः शान्तिः सर्वार्थसाधिका // 5 // क्षान्तिरेव जगद्वन्द्या क्षान्तिरेव जगद्धिता / क्षान्तिरेव जगज्ज्येष्ठा शान्तिः कल्याणदायिका // 6 // शान्तिरेव जगत्पूज्या शान्तिः परममङ्गलम् / शान्तिरेवौषधं चारु सर्वव्याधिनिवर्हणम् // 7 // क्षान्तिरेवारिनिर्णाशं चतुरङ्गमहाबलम् / किं चात्र बहुनोक्तेन क्षान्तौ सर्व प्रतिष्ठितम् // 8 // भावार्थ-शान्ति ही महादान है, शान्ति ही महा तप है, शान्ति ही महाज्ञान है, शान्ति ही महादमन है शान्ति ही महाशील है, शान्ति ही महाकुल है, शान्ति ही महावीर्य है, शान्ति ही महापराक्रम है, क्षान्ति ही इन्द्रियनिग्रह है, क्षान्ति