________________ (11) प्रत्यक्ष प्रमाण दो प्रकार का है (1) सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष, और ( 2) पारमार्थिक प्रत्यक्ष / __ सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष फिर दो प्रकार का होता है। (1) इन्द्रिय-निबंधन, और (2) अनिन्द्रिय-निबंधन / इन दोनों के फिर चार चार भेद हैं। (1) अवग्रह (2) ईहा (3) अपाय और (4) धारणा। १-व्यंजनावग्रह के बाद अर्थावग्रह होता है / जैसे-किसी भी वस्तु का यानी शब्दादि का मन और चक्षु को छोड कर अन्य-किसी भी इन्द्रिय के साथ सन्निकर्ष संबंध होता है, उस ज्ञान को व्यंजनावग्रह कहते हैं और उसके बाद अर्थावग्रह होता है। नैयायिक लोग इस ज्ञान को निर्विकल्प ज्ञान मानते हैं। २-ऐसा निर्विकल्प ज्ञान होने के बाद, 'यह शब्द किसका है ? कहाँसे आया है ?' आदि विचार का नाम ३-इसके बाद यह निर्णय होता है कि यह मनुष्य का शब्द है; अमुक मनुष्य का शब्द है। ऐसे निश्चित ज्ञान को 'अपाय ' कहते हैं।