________________ सेठियाजैनग्रन्थमाल ___ (2) यदि सवेरे ही काम पर जाने से पहले ही दुग्ध-पान या कुछ जल- पान कर लिया जाय तो अति लाभदायक है / इस से शरीर पुष्ट होता है और ज्वर आने का अंदेशा नहीं रहता / ताज़ा भोजन दस ग्यारह बजे के करीब करना चाहिये और सांझ की ब्यालू सूर्य डूबने के पहले ही कर लेनी उचित है, रात को नहीं; क्योंकि रात का भोजन अंधा भोजन है-रात में जीव जन्तु भली भांति दिखाई नहीं देते,तथा सूर्य की किरणों से जो छोटे२जीव-जन्तु एक जगह बैठे रहते हैं, वे रात्रि में उड़ कर भोजन में गिर जाते हैं, और खाने में आ जाते हैं। कई मनुष्य रात्रि भोजन में विषैले जन्तु भक्षण कर प्राणान्त कष्ट तक पा चुके हैं ; इसलिये दिन ही में भोजन करना लाभ दायक है। जिन की अग्नितेज़ हो और जिन को शारीरिक या मानसिक श्रम करना पड़ता हो, वे लोग यदि मुख्य भोजनों के बीच में दिल दिमाग को तरी या ताकत लाने वाला थोड़ा भोजन कर लें तो बुरा नहीं है। (3) भोजन करने से पहले 'जल' पीने से अग्निमन्द होती है और शरीर में निर्बलता आती है / भोजन के अन्त में पानी पीने से कफ बढ़ता है ; किन्तु भोजन के बीच में थोड़ा थोड़ा पानी पीने से अग्नि बढ़ती है , और शरीर टीक रहता है। ... (4) भूख में पानी पीना और प्यास में भोजन करना हानि कारक है ।भूख में विना भोजन किये जल पीने से 'जलोदर' रोग