________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाका कठिन शब्दों के अर्थ + नीरधि- समुद्र / नीरद- मेघ / क्षीर- दूध / विषधर-विष- सांप का जहर / समीर- झा / दिगन्त- दिशाओं का अन्त / शाखी- वृक्ष / पाटिएपूरिए / सरोप- गुस्सा सहित / ग्रास- कौर, कवल / दिनेश- सूर्य / कोक-कमला उपल-पत्थर(गड़े)। कलत्र-स्त्री / निधन-मरण,विनाश : गिदान- मूल / निधानखजाना / पल्वल- तालाब, तलैया / व्योम- आकाश- / व्यूह- समूह / केतकीकेवजा / भृङ्ग- भौरा / जलज- कमल / खंज- एक तरह का पक्षी। डोरशंख-कुछ नहीं देने वाला, खाली बोलने वाला / निपट- निरा, बिलकुल / लवार- गवार, पहा / दुखारी- दुखी / ग्रावेश- अभिमान / नरसिंह- मनुष्यो में शेर के समान अत्यन्त पराक्रमी / नरगीदड़- दब्बू, उरपोक, कमजोर / अविलम्ब- विलम्बन करके, शीघ्र ही / बिकराल- भयंकर, भीषण / . // इति सम्पूर्णम् // + जल अर्थ वाले शब्द के आगे 'बि' जोड़ने से समुद्र का और 'द' जोड़ने से मेंघ का और 'ज' जोड़ने से कमल का अर्थ हो जाता है। पुस्तक मिलने का पताअगरचन्द भैरोदान सेठिया जैनशास्त्रभण्डार (लाइब्रेरी) बीकानेर (राजपूताना)