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________________ दिल्ली-बाल-शिक्षा ... हमी अभिमान हमी तुच्छ हैं महान हैं। हमी यमराज राजराज और रर हमी, ___ हमी जीव, ईश हमी भीरु बलवान हैं // (10) : एकता में द्वेषता की झलक दिखाती जिन्हें, - जाति या समाज में भी जो हैं विखरे हुए। देश का या वेश का है जिनमें श्रावेश नहीं, " जिनमें विदेशियों के भाव हैं भरे हुए। नर-सिंह होने पर भी जो नर गीदड़ों से, नरता को छोड़ कर रहते डरे हुए / जीते यदि आप हैं तो जीते जी न भूलियेगा, ... जानिए न जीते उन्हें मानिए भरे हुए / चेत. हा अचेत सा पड़ा है क्योंतू चेततान, बार बार मानव-शरीर को न पायगा / विरत हो कामना से रह परमार्थ-रत, विषय को भोग कर कभी न अघायणा // करना जिसे हो उसे कर अविलम्ब क्योंकि नहीं रह जायगा तू काम रह मध्यगा। खायमा किसे नकाल,तू क्या पर सायगान . विकराल काल तुझे लेने जब भायगा //
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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