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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (121) चाल्र्स के पिता तथा पूर्वजों ने पहले उनकी नसे खूष दीली की थीं-रूस, जर्मनी, हालैण्ड तथा डेनमार्क के कई प्रान्त लेलिए थे। अब सब के सब अवसर देखकर उमड़ खड़े हुए और उन जीते हुए प्रान्तों को छीन लेने की चेष्टा शुरू कर दी। इतना ही नहीं सबने मिलकर एक साथ गुप-चुप स्वीडन के बाहरी सूबों पर चढ़ाई कर दी किन्तु इससे चार्ल्स जरा भी चिन्तित न हुमा / उसने राजसभा में सरदारों के सामने भाषण करते हुए कहा-"मैंने निश्चय कर लिया है कि कभी अन्याय से युद्ध नहीं प्रारंभ करूंगा किन्तु इसके साथ ही न्यायपूर्ण युद्ध को तब तक बंद भी न काँगा जब तक कि प्राने शत्रुओं को पूर्ण रूप मे नाश न कर हूँ।” सत्रह वर्ष के एक बालक राजा के मुंह से निकले हुए ये कैसे वीरतापूर्ण शब्द है / जहां गद्दी पर बैठते ही उसने शेर और भालू आदि जंगली जानवरों के शिकार और गजमी जलसे शुरू कर दिए थे, वहां इस भाषण के दूसरे ही दिन से शिकार, नाचरंग, और खचीली दावते बन्द हो गयीं / उसने सोचा-शिकार खेलना या अन्य किसी कुन्यसन का सेवन करना गजनीति नहीं है। इन कुटेवों में पड़कर अनेक गजा अपने सर्वस्व से हाथ धो बैठे हैं / अतः मुझे पहले से ही चेत जाना चाहिए / वहानकी जगह सेनासंचालन, निशानेबाजी तथा अन्य मैनिक कार्यों में समय बिताने लगा। बाप-दादा के समय के बड़े बड़े योद्धा और सेनापति प्रादर सहित बुलाकर सेना में रखे गये। फिर तो वह इस तरह शत्रुओं के पीछे पड़ा कि एक एक करके सबसे बदला लिया: डेनमार्क की सेना को बार बार खदेडा और जल सेना लेकर डेममार्क की भूमि पर जा उतरा। उस समय वह बदला लेने तथा युद्ध करने के लिए इतना बेचैन हो रहा था कि जहाज से उतरते
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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