SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 541
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (73) थोड़ा सा भात और दही / दिन में दो तीन सेर बादाम उनके पेट में जाता और कभी कभी एकाध सेर मलाई में सोना चांदी के वर्क भी चाट जाते / दुध पसन्द नहीं था / मांस, मछली, शराब श्रादि से तो सदा दूर रहते अर्थात् इन अभक्ष्य वस्तुओं के सदा त्यागी ही थे / ___ बल तो असाधारण हो गया / देहका चढ़ाव-उतार और सुन्दरता देखकर लोग सिहाते किन्तु अब राममूर्ति को अपने बल की परीक्षा देने के लिये छटपटाहट शुरू हुई / संयोग की बात है कि उसी समय युजेन सैण्डो नामक प्रसिद्ध यूरोपीय पहलवान (जिसके डम्बेल की कसरतें आज भारतवर्ष में भी प्रचलित हो रही हैं) संसार में अपने बल का डंका पीटता और संसार के नामी नामी पहलवानों को पछाड़ता हुआ हिन्दुस्थान में पहुँचा / जब मद्रास आया; राममूर्ति उसके बल की जांच करने को व्याकुल हो गये / वे कहते हैं___ "सैण्डो के बल की परीक्षा किस प्रकार हो; और मैं उसके आगे टिक सकूँगा कि नहीं, यह जानने को मैं उद्विग्न हो गया। आखिर मैंने सैण्डो के नौकर से दोस्ती की / एक दिन उस नौकर को मैंने नशीली चीज खिलादी और जब वह नशे में ऊंधने लगा, में तम्बू में घुसगया और सैण्डो के 'डम्बेल्स' को अाजमाया। मुझे तुरंत विश्वास हो गया कि सैण्डो केवल अपनी चालाकी से कीर्ति लूट रहा है / वह बली है जरूर, किन्तु जितना वह बताता है, उतना नहीं / दूसरे ही दिन उसे मैंने चैलेज दिया-कुश्ती लड़ने को ललकारा / किन्तु वह समझ गया कि मैं उससे बली हूं इसलिये उसने यह कहकर अपनी इज्जत बचायी कि मैं काले आदमी से कुश्ती नहीं लड़ सकता / मुझे
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy