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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा - में जिन नवीन कल्पनाओं का जन्म हो, उन्हें भी उसी प्रकार मित्र भिन्न विभागों में विभक्त करदें / यदि विषय का विभाग न किया जायगा तो गड़बड़ पड़ जायगी और एक जगह की बात दूसरी जगह लिख जायगी ! मान लो कि भगवान् महावीर के जीवन पर हमें एक निबन्ध लिखना है तो हमें इस प्रकार विषय-विभाग करना चाहिए १-जन्म के पूर्व देश काल और समाज की अवस्था। २-~-भगवान का जन्म और बाल्यकाल / ३---यौवनकाल, नीतिदक्षता और दीक्षा। 4. तपश्चरण। 5- केवलज्ञान की प्राप्ति और धर्मोपदेश / ई-निर्वाण। एक बात और भी ध्यान रखने योग्य है / विषयविभाग करदे लिखते समय यदि एक भाग को उचित से अधिक लम्या कर दिया जाय और दूसरे को बिल्कुल छोटा, तो वह ऐसा भदा मालूम होगा जैसे किसी मनुष्य के पैर बहुत छोटे हों, गर्दन डेढ़ हाथ की हो और नाक दूर तक आगे निकली हो ! बँगला के स्वर्गीय यशस्वी उपासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने नधोम लेखकों को लिखने के कतिपय नियम बताये हैं। उनमें जो विशेष उपयोगी हैं, यहां लिखे जाते हैं (1) यश के लिये न लिखो। यदि यश के लिये लिखोगे तो यश भी न मिलेगा और तुम्हारी रचना भी अच्छी न होगी ! रचना अच्छी होने पर यश आप हो प्राप्त होगा। (2) रुपये के लिये नल्खिो , यूरोप में इस समय अनेक ऐसे लेखक हैं ओ रुपये के लिये लिखते हैं, उन्हें रुपये मिलते भी हैं
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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