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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा देश-ममता छोड़ जो परदेश के उपकार में , है लगा, वह क्यों न डूबै दुःख पारावार में ? | इन्दु नभ को छोड़ जो रहता न हर के माथ में, भस्म से क्यों लिप्त होता पढ़ पराये हाथ में // 12 // -रामचरित उपाध्याय / कौलीन- कुलीनता. कीट-- कीड़ा. खर समीरण-आंधी,तेज हवा. वेशाटोप-- पहनावे का आडम्बर. (बाह्य पाडम्बर.) स्वर - गधा, गर्दभ. तुरग-- घोड़ा. . ... उभय- दोनों. सुरधुनी-- गंगा नदी, सलिलेश- समुद्र. . श्वान--कुत्ता. धूलिधूसर-धूलभरा. करी - हाथी. औदुम्बरी-फल-जन्तु- गूलर फलमें होने वाले त्रसजीव. कुहू- अमावस्या. बाल-- मूर्ख. उर-- हृदय. पारावार- समुद्र. इन्दु- चन्द्रमा. हर- महादेव.
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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