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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा अतः हम लोग भी उसी लक्ष्मी की पूजा करते हैं / परन्तु आजकल लोग असली वात को न समझकर धन दौलत को लक्ष्मी समझते और उसी की पूजा करते हैं। बहुतेरे बालक पटाके छोड़ते हैं. इससे सिवा हानि के लाभ नहीं होता / कभी 2 तो बड़ी 2 दुर्घटनाएँ हो जाती हैं / प्रायः प्रत्येक वर्ष या तो बालकों के जल जाने की खबर सुनी जाती है , या मकान आदि में आग लग जाने की / धार्मिक प्रसंग पर ऐसे हिंसाजनक कृत्य करना कदापि उचित नहीं हो सकता / इसलिए उस समय हमें धर्म की आराधना करनी चाहिये / उसी रात्रि में श्रीगौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी, इसलिये उनकी स्मृति के लिये व्यापारी लोग पहलेपहल "श्रीगणेशाय नमः (गण के स्वामी गौतम को नमस्कार हो)लिखते हैं / परन्तु "श्रीगौतमगणेशाय नमः" ऐसा लिखना और भी अच्छा है। बालको! परम पूज्य परमात्मा महावीर को नमस्कार करो जिन्होंने हमें आत्म-कल्याण का मार्ग सुझाया / उनके जीवन से जो शिक्षाएँ मिले, उन पर चलो और दूसरों को चलाओ। PA E AVA
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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