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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (43) मत्स्य का प्रश्न सुन राजा को बड़ा अचम्भा हुश्रा / उसने राजसभा में जाकर पण्डितों से मच्छ के प्रश्न का उत्तर पूछा, परन्तु उसका उत्तर किसी की समझ में न आया। उसी समय कालिकाचार्य नामक मुनिराज पधारे / उन्होंने कहा--- जीवित कौन ? वही जो निशिदिन, धर्मकर्म में रत रहता है। जिसमें सद्गुण और धर्म नहिं, वह केवल दुख ही सहता है॥१॥ जीवित कौन ? वही बस जिसके, जीवन से सजन जीते हैं। जो पर का उपकार न करते, वे जीवन-फल से रीते हैं // 2 // जीवित कौन? वही हे जलचर ! जो न दुष्ट भोजन करते हैं। सदा सरल सदवृत्तपरायण, पापपुंज से जो डरते हैं // 3 // .. कालिकाचार्य का उत्तर सुन राजा ने उनसे कहा-महाराज! क्या जानवरों की भी धर्म कर्म करने की इच्छा होती है ? प्राचार्य बोले-राजा ! जानवर अधर्मी और कुकर्मी मनुष्यों से भी ज्यादा उच्च हैं। एक कहानी सुनिये एक विद्वान् किसी जगह व्याख्यान देरहे थे। व्याख्यान में उन्होंने कहा-"जो विद्यावान् न हो, तपस्वी न हो, दानी न हो, शीलवान् न हो, धर्मात्मा और गुणी न हो वह मनुष्य के श्राकार का मृग ही है / वह पृथिवी को वृथा बाझों मारता है"। उनकी बात एक मृग को न रुची। उसने कहा-महाराज ! निगुण मनुष्य से हमारी तुलना करना, हमारा अपमान करना है। वह हमारी बरावरी नहीं करसकता। हम लोग किसी का कुछ नहीं बिगाड़ते और तिनकों से अपना पेट भरले हैं। पापी मनुष्य हमारे प्राण हरलेते हैं पर हम उनका या मनुप्यजाति का किसी प्रकार अपकार नहीं करते। ऐसे साधु स्वभाव वाले, विश्वासी और भद्र मृगों से अपढ़ अनाही अधर्मी
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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