________________ (42) सैठियाजैनप्रन्थमाला व्यापारी को यह बात अवश्य मालूम होनी चाहिए कि कैसा मोसिम होने से किस 2 वस्तु पर कैसा प्रभाव पड़ता है। इन सब गुणों के साथ मधुर भाषण और नम्रता की भी आवश्यकता है / जर्मनी के किसी व्यापारी के पास एक बालक नौकरी की खोज में गया था। एक व्यापारी ने उसकी जाँच के लिये कुछ दिनों के लिये रक्खा / एक वार एक गाहक ने आकर पूछातुम्हारी दुकान में अमुक चीज़ है ? बालक ने उत्तर दिया-हां। बाद में खरीददार जब सौदा खरीदकर ले गया तब दुकानदार ने उस लड़के को इसलिये निकाल दिया कि उसने अयोग्यता से उत्तर दिया था। उसे कहना चाहिये था-जी हां, है,आइये-पधारिये। इस उदाहरण से यही मालूम होता है कि व्यापारी को नम्र और मधुरभाषी होना चाहिए / इसी प्रकार सहन-शक्ति होना आवश्यक है। जो इन नियमों का पालन करता है, वह व्यापार-कुशल हो जाता है। पाठ 17 निर्गुण मनुष्य. किसी समय प्रतिष्ठान नगर में एक धनाढय सेठ होगक है। उसने अपनी सारी उम्र में एक बार भी कोई धर्मकार्य न किया / वह अन्त में मरकर उसी नगर के एक तालाब में मत्स्य हुआ / उसी नगर में शालिवाहन नामक राजा था। वह एक दिन तालाब के किनारे आकर बैठा / उस समय मत्स्य ने पूछाकौन जीवित है ? कौन जीवित है ? कौन जीवित है ?