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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (27) जोखिम भी है / आजकल रेलगाड़ी के चलन से कुछ 2 आशङ्काएँ कम होगई हैं / पहले लूटमार होती थी, अब ठगाई बहुत होती है, मुसाफिरी में जो हानियां होती हैं, उनका मुख्य आधार तीन बातों पर है। (1) लाभ (2) ब्रह्मचर्य की शिथिलता (3) असावधानी। (1) लाभ-बहुतेरे धूत बातें मारकर लोगों को धोखा देकर उग लेते हैं। कोई 2 पीतल या लोहे की चीजों पर सोने का रंग चढ़ा कर और यह प्रकट करके कि यह सोना हमें कहीं पड़ा मिला है, कम मूल्य में देने लगते हैं। मुसाफिर लोभ के जाल में फंसकर उसे खुशी से खरीदते और फिर हाथ मलते रह जाते हैं / कोई 2 धूत अपना भेष भले आदमी का सा बना लेते हैं। वे अच्छे कपड़े बढ़िया जूते और घड़ी कड़ी से सजकर यह प्रगट करते हैं, कि उनका माल असबाब चोरी चला गया है / इसलिये ठिकाने लगने के लिये धन की सहायता मांगते हैं। भोले भाले लोग उनकी चालाकी ताड़ नहीं सकते; और फंस जाते हैं। कितनेक ठग, साधु सन्यासी का बाना बना कर, किसी गोलमटोल लुढ़िया को लेकर कहते हैं-"यह शालिग्राम जिस घर में रहते हैं, वहा के लोग मालामाल होजाते हैं। हम साधु संत ठहरे, हमारा द्रव्य से सरोकार कश : तुम से जो बन सके, अपनी श्रद्धा के अनुसार जमात (भष) जिमाने के लिये चढ़ा दी और इनसे तुम्ही लाभ उठाओ" / __बहुतेरे आपस में मिले हुए ठग हारजीत का खेल खेलते हैं। उनमें से किसी को जीता देख अजनवी आदमी के मुँह में पानी आजाता है / ठग लोग एक वार उसे भी जिता देते हैं। वह जीत के नशे में उन्मत्त होकर ज्यों 2 आगे खेलता जाता है, त्यों 2 हार
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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