SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 393
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिदी-बाल-शिक्षा डोंगी के पास आया और दाहिने हाथ से पतवार पकड़ने लगा। एक केवटिया ने यह हाल देख उसका हाथ काट लिया / अब यह बायें हाथ से तैरने लगा। तैरते 2 फिर डोंगी की ओर आया और बायें हाथ से पतवार पकड़ने लगा। लेकिन केवटियाने वायां हाथ भी काट डाला / तब वह दोनों कटी हुई भुजाओं को ऊपर उठाकर नाच के पास तैरता चलने लगा। उसकी ऐसी दशा देखकर सबका जी भर पाया। सब ने एक स्वर सेकहा-भाग्य में जो बदा होगा, सा होगा / हमारा कर्तव्य है कि ऐसे भ्रातृस्नेही का बाण वत्राव / यह कह कर उसे झट४ चढ़ा लिया। नाव वाले सारी रात चलते रहे / दूसरे दिन प्रातःकाल होते ही मुंजबीक के पहाड़ की तराई की धरती दिखाई दी धरती देखकर सब के जी म जी आया! पास ही पोर्तगाल के लोगों की एक बस्ती थी। वहां सब लोग पहुँच गये। वहां के लोगों ने जब उसके भ्रातृप्रेम का हाल सुना तो अत्यन्त प्रसन्न हुए। ___ वास्तव में ऐसे बन्धुप्रेमी बन्धु धन्य हैं / बालको ! यदि आप. त्ति आजाय तो उसकी परवाह न करके भाई की सहायता करो। उससे सदा प्रेम का बर्ताव करो। पाठ 7 स्वास्थ्यरक्षा, एक विद्वान् का कथन है कि "स्वस्थ शरीर ही में स्वस्थ मन रह सकता है। इससे स्पष्ट है कि धर्म और परमार्थ के लिये भी शरीर का स्वस्थ रहना अत्यन्त आवश्यक है। शरीर नीरोग न हो तो दुसरी कोई भी वस्तु सुख . ही पहुँचा सकती।
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy