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________________ सेठियांजैनग्रन्थमाला कूट पीसकर छान लो। यह चूर्ण बालकों के लिए अमृतसमान है। बालक की अवस्थानुसार इस की मात्रा बनाकर शहद (मिश्री की चासनी) में मिलाकर चटाने से, बालकों के ज्वर, खांसी,वमन-कय होना, ये निश्चय ही आराम हो जाते हैं / इससे हजारों बालकों को आराम हुआ है / इसे आप बालकों के लिए रामबाण दवा समझे भाप धीरज रखकर इस दवा को देते जावें, आप के बालक को अवश्य आराम होगा। 88 बिच्छू काटे की दवा-सत्यानाशी की जड़ की छाल पान में खिलाने से बिच्छू का जहर उतर जाता है / (2) अगर बिच्छू ने काटा हो, तो कपास के पत्ते ओर राई इन दोनों को एक जगह पीसकर लेप कर दो। (3) रविवार को कपास की जड़ उखाड़कर लामो, यदि किसी को बिच्छू काटे, तो आप उसी जड़ को चबाने के लिए दो / (4) नौसादर, कली का चूना और सुहागा, इन तीनों को जल के साथ मिलाकर झूबने से भी जहर उतरता है / 89 पागल कुत्ते के काटे की दवा--सफेद जीग, स्याह जीरा. और काली मिर्च, इन तीनों को पीसकर 1 माशे भर पिलाने और प्याज को महीन कूटकर शहद में मिला, कुत्ते की काटी हुई जगह पर लेप करने से पागल कुत्ते के काटे हुए को आराम होता है। 60 सिर दर्द की दवा-(१) पिपरमेण्ट के फूल और कपूर, दोनों बराबर बराबर लेकर सिर पर मलने से सिरदर्द शीघ्र आराम हो
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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