________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला 67 रात को सोते समय एक कम्बल अपनी शय्या पर रक्खा करो, यदि रात को शीत पड़ा तो उसे ओढ़कर सर्दी से बच जाओ. गे। यदि घर में आग लग गई तो कम्बल ओढ़कर घर के बाहर अछूते निकल जाओगे; क्योंकि कम्बल पर आग असर नहीं करती / यदि खुली जगह में सोये हुए हो और अकस्मात् वर्षा होने लगे तो अपने विछौने और शरीर को भीगने से बचा सकोगे। 68 यदि तुम में कोई खराब आदत पड़ जाय और जिस के विना तुम से रहा न जा सके तो उसे धीरे धीरे छोड़ो / यदि उसे एकदम जल्दी छोड़ दोगे तो शायद लाभ के बदले हानि हो जाय / 66 मानसिक परिश्रम करनेवालों, विद्वानों, वकीलों और अन्यकर्ताओं को आराम की गहरी नींद लेना बहुत ज़रूरी है, अग र दिमागी परिश्रम करने वाले इस नियम पर चलेंगे तो वे अच्छा काम कर सकेंगे और हमेशा तन्दुरुस्त भी रहेंगे। - 70 सदा किसी एक ही बात का ध्यान मत रक्ग्वो, और बारम्बार उसी की चिन्ता में मत रहो, ऐसा करने से आदमी पागल हो जाता है। 71. जब बालक की मा के सिर पर क्रोध का भूत सवार हो, तब वह बालक को दूध न पिलावे / क्रोध के समय स्त्री का दूध ज़हर की तासीर रखता है। क्रोध के समय माता के दूध पिलाने से बच्चे भयानक रोगों से घिरकर मर गये हैं।