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________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा पूछा- "इतने जल्दी वापिस क्यों जाते हैं ? सेठ बोला--"आवश्यक कार्य है। गोकुलपति नन्द ने कहा, मेरे लड़के को घर भेज दीजिये। वह आपका कार्य कर लावेगा / सागर सेठ ने अपने लड़के के नाम एक पत्र लिखकर दामन्नक को दे दिया, दामन्नक कागज़ ले कर चल दिया। दामनक चलते चलते थक गया। रास्ते में एक कामदेव का मन्दिर था / वह उमीम लेट गया और थकावट के मारे सो गया। उसी समय मागर सेठ की विषा नाम की कन्या कामदेव की पूजा करने आई थी। वह दामनक की अंगरखा में बंधा हुआ पत्र देव कर वांचने लगी उम में लिखा था "आते ही दामनक को शीघ्र विष दे देना। इस विषय में विचार न करना। पत्र पढ़ने मे विषा के हृदय में भारी धक्का लगा। उसने सोचापिता पत्र लिखते समय एक काना लगाना भूल गए है। उसने आंख का काजल निकाल कर सलाई से काना लगा दिया। अब विषके स्थान पर विषा हो गया / विषा कामदेव की पूजा करके वापिस घर चली आई। ___दामनक पत्र लेकर घर पहुंचा / सागरदत्त के लड़के ने महोत्सव पूर्वक विषा के माथ दामन्नक का विवाह कर
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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