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________________ [26] सेठियाजैनग्रंथमाला लोभी चाण्डाल दामन्नकको लड्डूका लालच देकर जंगल में ले गया। यहां, उस दीन हीन गरीब बालक को देखकर चागडाल का दिल मोम हो गया। उसने सोचा--" इस बेचारे ने सेठ का क्या अपराध किया होगा? मैं अत्यन्त पातकी हूं, कि इस बालक की हत्या करना चाहता हूं" यह सोचकर उसने बालक से कहा-“मूर्ख ! तू यहाँ से भाग जा / अगर यहां रहेगा, तो सागर सेठ तुझे मार डालेगा"दामः नक डर के मारे भाग गया / चाण्डाल ने उसकी अंगुली काटकर सेठ को दिखा दी।कटी हुई अंगुली वाला दामनक भागता हुआ सागर सेठ ही के गोकुल में पहुँचा / गोकुलपति के कोई सन्तान न थी, उसने उसे निज के लड़के की तरह पालादामनक अब युवक होगया। ___एक दिन सागर सेठ अपने गोकुल में आया। उसने दामनक को देखकर नंद गोकुलपति से पूछायह कौन है? गोकुलपति ने आदि से अन्त तक का सारा वृत्तान्त कह सुनाया। सागर सेठ विचारमें पड़ गया। उसने सोचा-कदाचित् साधु का वचन मिथ्या न हो / यह सोच यकायक घर लौटने लगा / नन्द ने
SR No.023532
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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